मागच्या शतकात हिंदी भाषेतल्या सर्वोत्तम कथांपैकी एक म्हणजे ज्येष्ठ लेखक अमरकांत यांची ‘डिप्टी कलक्टरी’ ही दीर्घकथा. प्रौढपिता आणि तरुण पुत्र यांच्या अ-संवादी अशा नात्यावर आधारित ही अजरामर कथा आज अधिकच प्रत्ययकारी वाटते. ही हिंदी कथा, तिचा मराठी अनुवाद, अमरकांत यांचेशी झालेला पत्रव्यवहार, हिंदीतले समीक्षक जय प्रकाश यांची प्रस्तावना, अनुवादकाचे मनोगत- अनुभव अशा ऐवजाचा हा हिंदी-मराठी द्विभाषिक संग्रह. मराठीत अभिनव असा. यह पुस्तक इस दृष्टि से भी महत्त्वपूर्ण है कि एक लेखक जो एक पाठक भी है, स्वयं पाठक के रचनाकार के साथ जीवंत संवाद के तौर पर इतर भाषा के जरिए रचना के मर्म तक पहुंचने का बेचैन प्रयत्न कर रहा है। यह बेचैनी ही इस पुस्तक का प्राणतत्व है। महत्वपूर्ण यह भी है कि यह एक द्विभाषी पुस्तक है, जो मुझे विश्वास है कि हिंदी और मराठी के एक मजबूत सेतुबंध निर्मित करने में सहायक सिद्ध होगी ।
Payal Books
Dipty Collectory Anuwad Tatha Anubhav | डिप्टी कलक्टरी अनुवाद तथा अनुभव by Madhukar Dharmapurikar | मधुकर धर्मापुरीकर
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